🇮🇳 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा: वजह, प्रक्रिया और आगे क्या होगा?

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 22 जुलाई 2025 को शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया और लिखा कि वे चिकित्सकीय सलाह के अनुसार तत्काल प्रभाव से अपने पद से हट रहे हैं। उनका इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा गया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। यह इस्तीफा मानसून सत्र के पहले ही दिन आया, जब वह बतौर राज्यसभा सभापति कई अहम बैठकों की अध्यक्षता करने वाले थे।

इस अप्रत्याशित फैसले ने देशभर में राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे दिया है। कई नेताओं और विश्लेषकों का मानना है कि केवल “स्वास्थ्य कारण” इस तरह के बड़े संवैधानिक पद से हटने के लिए पर्याप्त वजह नहीं हो सकते।


🏛️ इस्तीफे की संवैधानिक प्रक्रिया

धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया, जो कहता है कि उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को संबोधित कर अपना पद त्याग सकते हैं।

उनका इस्तीफा तुरंत प्रभाव से लागू हो गया, जिससे उपराष्ट्रपति का पद खाली हो गया। संविधान में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यदि यह पद रिक्त हो जाए तो सभी जिम्मेदारियाँ कौन निभाएगा, लेकिन यह तय है कि जब तक नया उपराष्ट्रपति न चुना जाए, तब तक राज्यसभा के उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा नामित कोई अन्य सदस्य राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करेगा।


🏥 क्या सिर्फ स्वास्थ्य कारण?

धनखड़ का स्वास्थ्य पिछले कुछ समय से चर्चा में था। मार्च 2025 में उन्हें AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी। इसके बाद भी वे कुछ सार्वजनिक कार्यक्रमों में कमजोर दिखाई दिए थे, लेकिन राज्यसभा में उनकी सक्रियता बरकरार रही।

हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनका इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारणों से प्रेरित नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“यह इस्तीफा जितना अचानक है, उतना ही रहस्यमयी भी। स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है, लेकिन इसमें कुछ और गहराई है।”


📜 कार्यकाल में हुआ विवाद

धनखड़ का कार्यकाल शुरुआत से ही काफी चर्चित रहा। वे लगातार विपक्ष के निशाने पर रहे और कई बार उनके बयानों को लेकर संसद में विवाद भी हुआ। उनके ऊपर भारत के इतिहास में पहली बार उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव लाया गया, जिसे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अस्वीकार कर दिया।


🗳️ अब नया उपराष्ट्रपति कैसे चुना जाएगा?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 66 उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को परिभाषित करता है। इसके अनुसार:

  • उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य शामिल होते हैं।

  • चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation) द्वारा एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) प्रणाली से होता है।

  • इस प्रक्रिया में मतदान गोपनीय होता है।


🧾 उपराष्ट्रपति पद के लिए पात्रता

  • उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए।

  • आयु 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

  • वह व्यक्ति राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।

  • वह किसी भी सरकार के अधीन लाभ का पद धारण न कर रहा हो।


👥 संभावित उम्मीदवार कौन हो सकते हैं?

भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास संसद में पूर्ण बहुमत है, इसलिए नया उपराष्ट्रपति एनडीए के समर्थन से ही चुना जाएगा।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, जो जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य हैं, एक मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। वे सरकार के विश्वासपात्र हैं और वर्तमान में कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी निभा सकते हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा,

“हम इस स्थिति का मूल्यांकन कर रहे हैं। पार्टी ऐसा नाम चुनेगी जो संविधान का सम्मान करने वाला हो और सभी वर्गों के लिए स्वीकार्य हो।”


📚 इतिहास में ऐसे इस्तीफे

धनखड़ स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति बने हैं:

  • वी.वी. गिरि (1969): राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया।

  • भैरों सिंह शेखावत (2007): राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद इस्तीफा दिया।

  • जगदीप धनखड़ (2025): स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा।


🔍 निष्कर्ष

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा एक संवैधानिक परिवर्तन के साथ-साथ एक राजनीतिक संकेत भी है। जहां एक ओर उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर सहानुभूति है, वहीं दूसरी ओर इस्तीफे की टाइमिंग और पृष्ठभूमि ने अटकलों को जन्म दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एनडीए किसे नया उपराष्ट्रपति बनाता है, और क्या वह व्यक्ति संसद के ऊपरी सदन में संतुलन स्थापित कर पाएगा।

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